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https://rhreporting.nic.in/netiay/SocialAuditReport/BeneficiaryDetailForSocialAuditReport.aspx

प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण 2025: एक व्यापक अवलोकन


परिच
प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (PMAY-G), भारत सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2016 को शुरू की गई एक प्रमुख ग्रामीण आवास योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीबों को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के मकान प्रदान करना है। 2025 तक, यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में “सभी के लिए आवास” के सरकार के मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है, जो लाखों वंचित परिवारों की आवास आवश्यकताओं को पूरा कर रही है। यह लेख 2025 में PMAY-G की स्थिति, प्रगति और प्रभाव की पड़ताल करता है, साथ ही इसके उद्देश्य, पात्रता मानदंड और कार्यान्वयन प्रक्रिया पर भी प्रकाश डालता है।

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PMAY-G के उद्देश्य

PMAY-G को कच्चे मकानों (जिनमें 0, 1 या 2 कमरे और कच्ची छतें हों) को पक्के मकानों में बदलने के लिए शुरू किया गया था, जिसमें शौचालय, एलपीजी कनेक्शन, बिजली और पीने का पानी जैसी आवश्यक सुविधाएं शामिल हों। यह योजना स्वच्छ भारत अभियान और उज्ज्वला योजना जैसे अन्य सरकारी कार्यक्रमों के साथ मिलकर समग्र विकास सुनिश्चित करती है। इसका मुख्य लक्ष्य मार्च 2029 तक ग्रामीण परिवारों, विशेष रूप से गरीबी रेखा से नीचे (BPL) रहने वालों को सुरक्षित, संरक्षित और सम्मानजनक आवास प्रदान करना है। योजना में महिलाओं को सशक्त बनाने पर भी जोर दिया गया है, जिसमें मकान उनके नाम पर या उनके  के साथ संयुक्त रूप से आवंटित किए जाते हैं।
2025 में प्रगति
2 फरवरी 2025 तक, PMAY-G ने महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित 3.79 करोड़ मकानों के संचयी लक्ष्य में से 3.34 करोड़ मकानों को मंजूरी दी गई है, और 2.69 करोड़ मकान पूरे हो चुके हैं। 2025 में ही, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2028-29 की अवधि के लिए 2 करोड़ अतिरिक्त मकानों के निर्माण को मंजूरी दी। 2024-25 के दौरान, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सहित 18 राज्यों को 84,37,139 मकानों का लक्ष्य आवंटित किया गया था, जिसमें से फरवरी 2025 तक 39,82,764 मकानों को मंजूरी दी गई।
योजना ने पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी प्रगति भी लागू की है। आवाससॉफ्ट पोर्टल और आवास+ 2024 मोबाइल ऐप ने प्रगति की निगरानी, निर्माण चरणों को जियो-टैग करने और पात्र परिवारों की पहचान के लिए सर्वेक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। X पर पोस्ट्स के अनुसार, ग्रामीण गरीबों के लिए 4 करोड़ से अधिक पक्के मकान बनाए गए हैं, जिससे जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और गरीबी कम हुई है।

वित्तीय सहायता और पात्रता

PMAY-G के तहत, मैदानी क्षेत्रों में लाभार्थियों को 1.20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है, जबकि पहाड़ी या पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सहित क्षेत्रों में 1.30 लाख रुपये दिए जाते हैं। धनराशि को आधार से जुड़े बैंक खातों में सीधे किस्तों में हस्तांतरित किया जाता है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। लाभार्थी वित्तीय संस्थानों से 70,000 रुपये तक का ऋण भी ले सकते हैं, जिसमें 3% ब्याज सब्सिडी दी जाती है।
पात्रता का निर्धारण सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) 2011 डेटा के आधार पर किया जाता है, जिसे ग्राम सभा की मंजूरी से सत्यापित किया जाता है। बेघर परिवारों, कच्चे मकानों में रहने वालों और विशेष श्रेणियों जैसे दिव्यांगजनों, विधवाओं और वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि, जिनके पास तीन- या चार-पहिया वाहन, मोटर चालित नावें, या मशीनीकृत कृषि उपकरण हैं, वे पात्र नहीं हैं।

आवेदन और सत्यापन प्रक्रिया

PMAY-G के लिए आवेदन करने के लिए, व्यक्ति अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में जा सकते हैं या आधिकारिक पोर्टल (https://pmayg.nic.in) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवश्यक दस्तावेजों में आधार विवरण, जॉब कार्ड नंबर (यदि MGNREGA के तहत पंजीकृत हैं), और स्वच्छ भारत मिशन पंजीकरण नंबर शामिल हैं। आवेदन जमा करने के बाद, इसे ग्राम पंचायत या ब्लॉक स्तर के डेटा ऑपरेटरों द्वारा आवाससॉफ्ट पोर्टल पर अपलोड किया जाता है, जिसके बाद एक विशिष्ट पंजीकरण नंबर उत्पन्न होता है, जिससे प्रगति को ट्रैक किया जा सकता है।
सत्यापन प्रक्रिया में ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO) और जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा जांच की जाती है, जो आवेदनों को SECC 2011 डेटा और ग्राम सभा की सिफारिशों के आधार पर सत्यापित करते हैं। स्वीकृत लाभार्थियों को PMAY-G सूची में जोड़ा जाता है, और अपडेट SMS या ग्राम पंचायत के माध्यम से सूचित किए जाते हैं।

ग्रामीण भारत पर प्रभाव

PMAY-G ने ग्रामीण आवास परिदृश्य को बदल दिया है, जिससे किफायती आवास तक पहुंच बढ़ी है, गरीबी कम हुई है, और जीवन स्तर में सुधार हुआ है। इस योजना ने मकानों का मालिकाना हक महिलाओं के नाम पर प्राथमिकता देकर उन्हें सशक्त बनाया है, जिससे सामाजिक समानता को बढ़ावा मिला है। इसके अलावा, इसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहित किया है, क्योंकि मकान निर्माण से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण ने 2025 तक ग्रामीण भारत में एक सकारात्मक बदलाव लाया है। इसने न केवल बेघर और गरीब परिवारों को पक्के मकान प्रदान किए हैं, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार किया है। सरकार का लक्ष्य मार्च 2029 तक सभी पात्र परिवारों को आवास उपलब्ध कराना है, और इस दिशा में PMAY-G एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है। तकनीकी नवाचार और पारदर्शी कार्यान्वयन के साथ, यह योजना ग्रामीण भारत के विकास में एक मील का पत्थर बन रहे है

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